रामायण में दिखाए गए 1 एपिसोड को देखकर मेरे मन में यहभाव आया किहमें हमेशा सभी के प्रति बड़प्पन का भाव रखना चाहिए !उसे हम इस प्रकार से समझ सकते हैं-कपि राज बाली से भयभीत सुग्रीव किष्किंधा के एक पर्वत की गुफा में जामवंत जी, नल एवं नील के साथ बैठे हुए थे! उनके एक गुप्तचर ने आकर उन्हें सूचना दी, कि दो अपरिचित वनवासी किष्किंधा में प्रवेश कर चुके हैं!सुग्रीव को शक हुआ कि कहीं बाली ने तो उन्हें मारने को नहीं भेजें हैयह दो वनवासी राजकुमार?
*सुग्रीव ने अपने प्रिय मंत्री हनुमान को उनके बारे में सत्य जानने हेतु भेजा। एक ब्राह्मण का वेश बनाकर हनुमान जब राम लक्ष्मण के पास पहुंचे तब उन्हें ज्ञात हुआ ,कि अयोध्या के यह यशस्वी राजकुमार माता सीता की खोज में सुग्रीव महाराज से सहायता प्राप्त करना चाहते हैं। हनुमान तो राम लक्ष्मण से मिलकर बहुत प्रसन्न थे।वे उन्हें अपने कंधों पर बैठाकर उस गुफा के बाहर ले आए जिसके अंदर सुग्रीव अपने मंत्रियों के साथ बैठे थे।यह तो सबको पता ही था कि किष्किंधा का राज्य अयोध्या की राज्य से छोटा था !और सुग्रीव को उनके भाई बाली ने अपने राज्य से निकाल दिया था।तथा राम अयोध्या के वास्तविक राजा थे उनके नाम से भरत शासन चला रहे थे।निश्चित रूप से राम सुग्रीव की तुलना में बड़े थे। इस अवसर पर राम ने हनुमान से पूछा -हे हनुमान हमें समझाइए कि शिष्टाचार का नियम क्या कहता है ।सुग्रीव महाराज हमें बाहर लिवाने आएंगे ।अथवा हम दोनों अंदर जाकर सुग्रीव महाराज का अभिनंदन करें?हनुमान ने कहा हे भगवान शिष्टाचार का नियम तो यह कहता है !कि सुग्रीव महाराज लीवाने ने बाहर आए, किंतु भगवान आप बड़े हैं ,अतः आप ही पहल कीजिए। ,यह कहते हुए हनुमान गुफा के अंदर जाते हैं! तत्पश्चात राम व लक्ष्मण गुफा के अंदर प्रवेश करते हैं तथा उधर से सुग्रीव बाहर आते हैं दोनों एक दूसरे का सम्मान अभिवादन करतेहै।
- अतः बड़प्पन के व्यवहार से एक बड़ा व्यक्ति और बड़ा बन जाता है।तथा उसके बड़प्पन का फल पाने वाले छोटे व्यक्ति के मन में भी बड़े व्यक्ति के प्रति कृतज्ञता का भाव स्वाभाविक ही उत्पन्न होता है।यह सत्य है बड़प्पन विनम्र हृदय वाले व्यक्ति ही दिखा सकते हैं। अहम को त्याग कर, विनम्रता को अपनाकर ,छोटे से स्नेह एवं सम्मान का व्यवहार करना एक विवेकपूर्ण एवं उत्तम व्यक्ति की पहचान है।
Blog By : Dr. Meenakshi Sharma